मनोनिग्रह हेतु मानसिक विक्षोभ पैदा करने वाले अहंकार, अहंकेंद्रित कामनाएँ-वासनाएँ आदि कारणों से मुक्त होना पड़ेगा।
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उसे उपरोक्त मानसिक विक्षोभ सदैव पीडि़त किये रहेंगे और एक क्षण के लिए भी सन्तोष की साँस न लेने देंगे।
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मानसिक विक्षोभ, चिन्ता, भय, कृपणता, संकीर्णता, द्वेष, छल, कपट, लोभ, मोह, अहंकार जैसे मनोविकारों के कारण उत्पन्न होते हैं।
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जब हम एक सच को सुन लेते हैं लेकिन जीवन में उतारते नहीं, तो वह हमारे अपने ही भीतर जहर हो जाता है और फिर वह जहर फैलता है, जिसके फलस्वरूप मानसिक विक्षोभ, असंतुलन एवं शारीरिक विकार हमें घेर लेते हैं।
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वाशिंगटन पोस्ट में छपे इस समाचार का हवाला देते हुए, हिन्दुस्तान टाइम्स के २ ९ अगस्त १ ९ ८८ के अंकों में कहा गया है कि सौर कलंकों की इस प्रक्रिया में इतनी प्रचण्ड ऊर्जा निःसृत होगी, जो मौसम असंतुलन से लेकर मानसिक विक्षोभ तक की व्यापक भूमिका सम्पन्न करेगी।